About UNESCO
About UNESCO
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन' (UNESCO) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है। यह शिक्षा, विज्ञान एवं संस्कृति के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से शांति स्थापित करने का प्रयास करती है।
यूनेस्को संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास समूह (United Nations Sustainable Development Group- UNSDG) का सदस्य है। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों एवं संगठनों के इस समूह का उद्देश्य सतत् विकास लक्ष्यों को पूरा करना है।
यूनेस्को का मुख्यालय पेरिस में अवस्थित है एवं विश्व में इसके 50 से अधिक क्षेत्रीय कार्यालय हैं।
इसके 193 सदस्य देश एवं 11 संबद्ध सदस्य (अप्रैल 2020 तक) हैं और यह सामान्य सम्मेलन एवं कार्यकारी बोर्ड के माध्यम से नियंत्रित होता है।
यूनेस्को के सदस्य देशों में शामिल तीन देश संयुक्त राष्ट्र के सदस्य नहीं हैं
कुक द्वीप (Cook Islands), निउए (Niue) एवं फिलिस्तीन, जबकि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों में से तीन देश इज़रायल ,लिकटेंस्टीन,संयुक्त राज्य अमेरिका यूनेस्को के सदस्य देश नहीं हैं।
उद्देश्य:
सभी के लिये गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और उन्हें उम्र भर सीखने हेतु प्रेरित करना।
सतत् विकास के लिये नीति एवं विज्ञान संबंधी ज्ञान का उपयोग करना।
उभरती सामाजिक और नैतिक चुनौतियों को संबोधित करना।
सांस्कृतिक विविधता,परस्पर संवाद एवं शांति की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करना।
संचार एवं सूचना के माध्यम से समावेशी ज्ञान से युक्त समाज का निर्माण करना।
विश्व के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों जैसे ‘अफ्रीका’ एवं ‘लैंगिक समानता’ पर ध्यान केंद्रित करना।
इतिहास
वर्ष 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान धुरी राष्ट्रों का सामना कर रहे यूरोपीय देशों ने यूनाइटेड किंगडम में ‘कॉन्फ्रेंस ऑफ़ अलाइड मिनिस्टर्स ऑफ एजुकेशन’ (Conference of Allied Ministers of Education - CAME) का आयोजन किया था।
केम (CAME) के प्रस्ताव के आधार पर एक ‘शैक्षिक और सांस्कृतिक संगठन’ की स्थापना के लिये नवंबर 1945 में लंदन में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन बुलाया गया था।
सम्मेलन के अंत में 16 नवंबर, 1945 को यूनेस्को की स्थापना की गई थी।
यूनेस्को के जनरल कॉन्फ्रेंस का प्रथम सत्र वर्ष 1946 में नवंबर-दिसंबर के दौरान पेरिस में आयोजित किया गया था।
शिक्षा जीवन बदल देती है
यूनेस्को संयुक्त राष्ट्र की एकमात्र ऐसी एजेंसी है जिसे शिक्षा के सभी पहलुओं को शामिल करने का अधिकार प्राप्त है।
यूनेस्को को सतत् विकास लक्ष्य-4 के माध्यम से ‘वैश्विक शिक्षा एजेंडा 2030’ का नेतृत्व सौंपा गया है।
‘एजुकेशन 2030 फ्रेमवर्क फॉर एक्शन’ (‘Education 2030 Framework for Action) (इंचियोन घोषणा- IncheonDeclaration) वैश्विक शिक्षा एजेंडा 2030 को प्राप्त करने के लिये एक रोडमैप हैं।
इसके कार्यों में शुरुआती शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा और उससे आगे तक शैक्षिक विकास शामिल है।
इसके विषयों में वैश्विक नागरिकता एवं सतत् विकास, मानवाधिकार और लैंगिक समानता, स्वास्थ्य तथा एचआईवी और एड्स के साथ ही तकनीकी एवं व्यावसायिक कौशल विकास शामिल है।
धरोहर की रक्षा एवं रचनात्मकता को बढ़ावा देना
यह सत्य प्रतीत होता है कि एक मज़बूत सांस्कृतिक घटक के बिना कोई भी विकास सतत् नहीं हो सकता है।
यूनेस्को ने विकास की रणनीतियों और प्रक्रियाओं में संस्कृत को उचित स्थान देने के लिये एक त्रिस्तरीय दृष्टिकोण को अपनाया है।
संस्कृति एवं विकास के लिये दुनिया भर में वकालत करना।
स्पष्ट नीतियों एवं कानूनी ढाँचे को निर्धारित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुदायों के साथ जुड़ना।
रचनात्मक उद्योगों को मज़बूत करने, सांस्कृतिक बहुलता को प्रोत्साहित करने एवं विरासतों को सुरक्षित रखने के लिये स्थानीय हितधारक तथा सरकारों की सहायता हेतु ज़मीनी स्तर पर कार्य करना।
विश्व की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के बचाव एवं सुरक्षा के लिये यूनेस्को के कुछ महत्त्वपूर्ण अभिसमय तथा अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ:
सांस्कृतिक अभिव्यक्ति की विविधता का संरक्षण एवं संवर्द्धन पर अभिसमय (2005)।
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिये अभिसमय (2003)।
सांस्कृतिक विविधता पर सार्वभौमिक घोषणा (2001)।
अंतःजलीय सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण पर अभिसमय (2001)।
विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण पर अभिसमय (1972)।
सांस्कृतिक संपदा के अवैध आयात, निर्यात तथा स्वामित्व के हस्तांतरण पर प्रतिबंध एवं रोकथाम के साधनों पर अभिसमय (1970)।
सतत् भविष्य के लिये विज्ञान
विज्ञान हमें वर्तमान में आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने एवं सतत् विकास की स्थिति प्राप्त करने में समर्थ बनाता है।
यूनेस्को देशों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (STI) में निवेश करने, राष्ट्रीय विज्ञान नीतियों के विकास, उनकी विज्ञान प्रणालियों में सुधार करने और STI संकेतकों के माध्यम से प्रदर्शन की निगरानी एवं मूल्यांकन की क्षमता निर्मित करने के लिये काम करता है।
यूनेस्को अपने सदस्य देशों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के उपयोग के बारे में विशेष रूप से जैव नैतिकता के क्षेत्र में जानकारी के आधार पर निर्णय लेने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु भी कार्य करता है।
सामाजिक एवं मानव विज्ञान
यूनेस्को न्यायसंगत और समावेशी सोसाइटी हेतु ज्ञान का निर्माण एवं उसका उपयोग करने के लिये लोगों को सक्षम बनाने में मदद करता है। इसके साथ ही यूनेस्को स्थायी शांति एवं लोगों को एक-दूसरे का सहयोग करने में मदद करता है।
यह सामाजिक परिवर्तनों का प्रबंधन (Management of Social Transformations- MOST), युवाओं से संबंधित कार्यक्रम और शांति तथा अहिंसा की संस्कृति (जिसमें लोकतंत्र और वैश्विक नागरिकता, परस्पर संवाद, शांति निर्माण की पहल शामिल है) जैसे अपने अंतर-सरकारी कार्यक्रमों के माध्यम से पारस्परिक समझ को प्रोत्साहित करता है।
संचार एवं सूचना
यूनेस्को पत्रकारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और उनकी सुरक्षा को बढ़ावा देता है। ऑनलाइन घृणास्पद भाषा की रोकथाम करता है, इसके अलावा जागरूकता के माध्यम से दुष्प्रचार एवं गलत सूचना के प्रसार को रोकता है।
यह स्वतंत्र समाधान को प्रोत्साहित करके जिसमें मुक्त शैक्षिक संस्थान, हाशिये के लोगो तक पहुँच और साइबर स्पेस में बहुभाषावाद शामिल हैं, के माध्यम से ज्ञान एवं सूचनाओं तक सार्वभौमिक पहुँच में भी सहयोग करता है।
यूनेस्को की वैश्विक प्राथमिकताएँ - ‘अफ्रीका’ एवं ‘लैंगिक समानता’
अफ्रीका
यूनेस्को एक मज़बूत और बेहतर लक्षित रणनीति के साथ 54 अफ्रीकी देशों पर केंद्रित है।
अफ्रीकी संघ द्वारा एजेंडा 2063 और एजेंडा फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट 2030 को अपनाना अफ्रीकी आर्थिक समुदाय के विकास तथा अफ्रीकी पुनर्जागरण के लिये एक आधार तैयार करता है।
लैंगिक समानता
यूनेस्को का मत है कि पुरुष और महिलाओं को समान नागरिक के रूप में समान अवसर, विकल्प, क्षमता, शक्ति और ज्ञान का अवसर प्राप्त होना चाहिये।
लैंगिक असमानताओं से निपटने के लिये ज्ञान, मूल्यों, दृष्टिकोण और कौशल से अवगत कराना सभी के लिये एक स्थायी भविष्य बनाने की पूर्व निर्धारित शर्त है।
लैंगिक समानता के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये कुछ महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम एस प्रकार हैं:
यूनेस्को प्राथमिकता लैंगिक समानता कार्ययोजना
लैंगिक समानता उपकरण
लैंगिक दृष्टिकोण
लिंग संबंधी यूनेस्को की अध्यक्षता एवं नेटवर्क
लड़कियों एवं महिलाओं की शिक्षा के लिये यूनेस्को पुरस्कार
यूनेस्को युवा मोबाइल
यूनेस्को के कुछ महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम
यूनेस्को विश्व विरासत सम्मेलन और सूची
विश्व विरासत अभिसमय-1972 सांस्कृतिक संपदा एवं प्रकृति के संरक्षण की अवधारणा को एक साथ जोड़ता है।
यह अभिसमय उन प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक स्थलों (विश्व विरासत स्थल) को परिभाषित करता है जिन्हें विश्व विरासत सूची में शामिल किया जा सकता है।
इस अभिसमय में शामिल सदस्यों को सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक विरासतों के संरक्षण को अपने क्षेत्रीय योजना कार्यक्रमों में शामिल करने, उन स्थलों पर कर्मचारियों की नियुक्ति तथा संरक्षण हेतु वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान करने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।
यह बताता है कि विश्व विरासत कोष का उपयोग एवं प्रबंधन किस प्रकार किया जाना है।
विश्व स्तर पर 167 देशों में 1154 विश्व धरोहर स्थल हैं। वर्तमान में भारत में 40 विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें 30 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित स्थल शामिल हैं।
गुजरात के धौलावीरा शहर को भारत के 40वें विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया है। रामप्पा मंदिर (तेलंगाना) भारत का 39वांँ विश्व धरोहर स्थल था।
कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान, सिक्किम को भारत का पहला और एकमात्र "मिश्रित विश्व विरासत स्थल" के रूप में अंकित किया गया है।
हाल ही में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने वर्ष 2022-2023 के लिये ‘विश्व धरोहर स्थल’ के रूप में विचार करने हेतु होयसल मंदिरों के पवित्र स्मारकों को नामित किया है।
मानव व जीवमंडल कार्यक्रम (MAB)
यह एक अंतर-सरकारी वैज्ञानिक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य लोगों और उनके वातावरण के मध्य मज़बूत संबंधों के लिये एक वैज्ञानिक आधार स्थापित करना है।
यह आर्थिक विकास के लिये नवाचारी दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करता है जो सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण से उचित तथा पर्यावरणीय रूप से धारणीय है।
वर्तमान में 134 देशों में बायोस्फीयर रिज़र्व के वैश्विक नेटवर्क स्थलों की संख्या 738 है जिनमें 22 सीमापारीय स्थल शामिल हैं।
भारत में 18 बायोस्फीयर रिज़र्व हैं जिनमें से 12 बायोस्फीयर रिज़र्व को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानव व जैवमंडल (MAB) कार्यक्रम के तहत चिह्नित किया गया है।
इंटरनेशनल जियोसाइंस एंड वर्ल्ड जियोपार्क प्रोग्राम (IGGP)
इंटरनेशनल जियोसाइंस प्रोग्राम (IGCP) पृथ्वी के भविष्य को दिशा देने हेतु जियोसांइटिस्ट के वैश्विक नेटवर्क की बौद्धिक क्षमता का उपयोग करता है जिसके तहत जलवायु परिवर्तन के समय अनुकूलनशीलता एवं प्राकृतिक जोखिम लचीलापन, उत्तरदायी संसाधनों के निष्कासन तथा तत्परता पर ध्यान केंद्रित करना भी शामिल है।
यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क सतत् विकास हेतु प्रयोगशालाएँ हैं जो पृथ्वी की धरोहर की पहचान, प्रबंधन तथा स्थानीय समुदायों की स्थिरता को प्रोत्साहित करता है।
वर्तमान में, 46 देशों में 177 यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क हैं।
अंतर्राष्ट्रीय हाइड्रोलॉजिकल कार्यक्रम(IHP)
अंतर-सरकारी हाइड्रोलॉजिकल कार्यक्रम (IHP) संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का एकमात्र ऐसा अंतर-सरकारी कार्यक्रम है जो जल अनुसंधान और प्रबंधन तथा उससे संबंधित शिक्षा एवं क्षमता विकसित करने के लिये समर्पित है।
वैश्विक जल आकलन कार्यक्रम (WWAP)
वैश्विक स्तर पर बढ़ती जल संकट की समस्या विकासशील देशों की सुरक्षा, स्थिरता, पर्यावरणीय धारणीयता के लिये खतरा है।
यह कार्यक्रम विश्व में ताज़े जल की स्थिति के आकलन पर केंद्रित है। यह विश्व जल विकास रिपोर्ट (World Water Development Report-WWDR) के भागीदारों एवं संयुक्त राष्ट्र-जल के 31 सदस्यों (31 UN-Water members) के कार्यों के साथ समन्वय भी करता है।
इंटरनेशनल बेसिक साइंस प्रोग्राम (IBSP)
यह एक अंतर्राष्ट्रीय बहु-विषयक कार्यक्रम है जिसे आधारभूत वैज्ञानिक शिक्षा में किसी देश की राष्ट्रीय क्षमता को मज़बूत करने के लिये यूनेस्को के सदस्य देशों द्वारा स्थापित किया गया है ताकि विज्ञान के क्षेत्र में अंतर-सरकारी सहयोग को सुदृढ़ किया जा सके।
यूनेस्को की महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट्स
यूनेस्को विज्ञान रिपोर्ट
यूनेस्को विज्ञान रिपोर्ट विश्व भर में नियमित रूप से विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवाचार शासन (STI) का खाका तैयार करती है। यह रिपोर्ट विकास एवं शांति के लिये विश्व विज्ञान दिवस को मनाने हेतु प्रत्येक 5 वर्ष में 10 नवंबर को प्रकाशित की जाती है।
ग्लोबल एजुकेशन मॉनीटरिंग रिपोर्ट
ग्लोबल एजुकेशन मॉनीटरिंग रिपोर्ट एसडीजी एजेंडा में शिक्षा पर सतत् विकास लक्ष्य (SDG4) एवं उसके 10 लक्ष्यों तथा शिक्षा से संबंधित अन्य लक्ष्यों की प्रगति का आकलन करती है।
ग्लोबल एजुकेशन मॉनीटरिंग (GEM) रिपोर्ट शिक्षा पर सतत विकास लक्ष्य (SDG 4) और उसके 10 लक्ष्यों के साथ-साथ SDG एजेंडे में अन्य संबंधित शिक्षा लक्ष्यों की प्रगति का मूल्यांकन करती है।
यह रिपोर्ट विभिन्न निजी क्षेत्रों तथा जवाबदेही तंत्रों का परीक्षण करती है जो सरकारों, स्कूलों, शिक्षकों, माता-पिता, अंतर्राष्ट्रीय समुदायों को शामिल करते हैं और समावेशी, न्यायसंगत तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रति जवाबदेह होते हैं।
मैकब्राइड रिपोर्ट 1980
मैकब्राइड आयोग की व्यापक रिपोर्ट को "मेनी वॉयसेस, वन वर्ल्ड" (Many Voices, OneWorld”) के नाम से भी जाना जाता है।
यह आधुनिक समाज में विशेषकर मास मीडिया एवं न्यूज़ से संबंधित संचार समस्याओं का विश्लेषण करती है। इसके साथ ही इसमें नई तकनीकों की उत्पति पर विचार करना एवं भविष्य में शांति और मानव विकास हेतु इन समस्याओं को समाप्त करने के लिये एक तरह के संचार (नई वैश्विक सूचना एवं संचार आदेश) का सुझाव देना भी शामिल है।
भारत के लिये यूनेस्को की स्टेट ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट: दिव्यांग बच्चे
वर्ष 2019 की रिपोर्ट, इस वार्षिक रिपोर्ट का प्रथम संस्करण था जिसे भारत में यूनेस्को द्वारा प्रकाशित किया गया।
यह दिव्यांग बच्चों (CWDs) की शिक्षा के अधिकार के संबंध में उपलब्धियों और चुनौतियों पर प्रकाश डालती है।
यूनेस्को की स्टेट ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट 2019 शिक्षा प्रणाली को यह समझाने में सहायक साबित हो सकती है कि दिव्यांग बच्चों की शिक्षा की ज़रूरतें क्या हैं? यह रिपोर्ट हाशिये पर स्थित बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं युवाओं को समान अवसर उपलब्ध कराने के लिये हमारे सामूहिक उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण गति दे सकती है।
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने 2021 स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट इन इंडिया के निष्कर्ष बड़े पैमाने पर आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) और शिक्षा के लिये एकीकृत ज़िला सूचना प्रणाली (UDISE) डेटा (2018-19) के विश्लेषण पर आधारित हैं।
इसका उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के कार्यान्वयन को बढ़ाने और सतत्् विकास लक्ष्य (SDG) 4 (शिक्षकों पर लक्ष्य 4c) की प्राप्ति के लिये एक संदर्भ के रूप में कार्य करना है।
लक्ष्य 4c: वर्ष 2030 तक विकासशील देशों, विशेष रूप से कम विकसित देशों और छोटे द्वीपीय विकासशील राज्यों में शिक्षक प्रशिक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सहित योग्य शिक्षकों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि करना।
यूनेस्को एवं भारत
यूनेस्को के साथ सहयोग के लिये भारतीय राष्ट्रीय आयोग (INCCU)
भारत यूनेस्को की शुरुआत यानी वर्ष 1946 से ही इसका सदस्य रहा है।
यूनेस्को के अनुसार, प्रत्येक सदस्य देश का एक मुख्य संस्थान होना चाहिये जो यूनेस्को के साथ कार्य करेगा। इस प्रकार भारत में यूनेस्को के साथ सहयोग के लिये भारतीय राष्ट्रीय आयोग को अधिकृत किया गया था।
भारत में यूनेस्को के दो कार्यालय हैं:
दक्षिण और मध्य एशिया के 11 देशों (अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, ईरान, मालदीव, मंगोलिया, म्याँमार, नेपाल पाकिस्तान एवं श्रीलंका) के लिये नई दिल्ली क्लस्टर कार्यालय है।
महात्मा गांधी शांति एवं सतत् विकास शिक्षा संस्थान (Mahatma Gandhi Institute of Education for Peace and Sustainable Development- MGIEP) भारत सरकार द्वारा पूर्ण रूप से वित्तपोषित एवं सहायता प्राप्त है।
भारत को वर्ष 2022-2026 कि अवधि के लिये अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) की सुरक्षा हेतु यूनेस्को के वर्ष 2003 कन्वेंशन की अंतर-सरकारी समिति के लिये चुना गया है।
भारत ने 2006 से 2010 और 2014 से 2018 तक दो बार ICH समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया है।
इससे पहले कोलकाता में दुर्गा पूजा को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) की यूनेस्को की प्रतिनिधि सूची में अंकित किया गया था।
यूनेस्को के अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार एवं भारत
सहिष्णुता एवं अहिंसा को प्रोत्साहित करने के लिये ‘ यूनेस्को मदनजीत सिंह पुरस्कार’
इसकी स्थापना यूनेस्को के सद्भावना दूत, भारतीय कलाकार, लेखक एवं रणनीतिकार श्री मदनजीत सिंह द्वारा दिये गए दान की सहायता से की गई है।
इस पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 1995 में की गई जिसे सहिष्णुता के लिये संयुक्त राष्ट्र वर्ष और महात्मा गांधी के जन्म की 125वीं वर्षगाँठ के रूप में चिह्नित किया गया था।
वर्ष 1996 से यह पुरस्कार प्रत्येक 2 वर्ष में दिया जाता रहा है तथा वर्ष 2002 से इस पुरस्कार के तहत दी जाने वाली राशि 100,000 यूएस डॉलर है।
विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिये यूनेस्को कलिंग पुरस्कार
इस पुरस्कार की स्थापना भारत में कलिंग फाउंडेशन ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं संस्थापक श्री बिजोयानंद पटनायक के द्वारा किये गए दान के बाद वर्ष 1951 में यूनेस्को द्वारा की गई थी।
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