Automated Permanent Academic Account Registry
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हाल ही में नई दिल्ली में APAAR: वन नेशन वन स्टूडेंट आईडी कार्ड (APAAR: One Nation One Student ID Card) पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में संचालन में सुलभता लाने के लिये APAAR आईडी, एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट और डिजिलॉकर के बीच महत्त्वपूर्ण अंतर्संबंध का उल्लेख भी किया गया।
APAAR क्या है?
परिचय: APAAR, ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री का संक्षिप्त रूप है, जो भारत में कम उम्र से ही सभी छात्रों के लिये डिज़ाइन की गई एक विशेष पहचान प्रणाली है।
इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy- NEP) 2020 और राष्ट्रीय क्रेडिट और योग्यता फ्रेमवर्क (NCrF) के अनुसार पेश किया गया है।
APAAR आईडी के लिये पंजीकरण स्वैच्छिक है न कि अनिवार्य।
उद्देश्य: इसका उद्देश्य प्रत्येक छात्र को एक अद्वितीय और स्थायी 12-अंकीय आईडी प्रदान करके, उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों को एक ही स्थान पर समेकित करके पूरे भारत में छात्रों के लिये एक एकीकृत एवं सुलभ शैक्षणिक अनुभव प्रदान करना है।
एपीएएआर देश में 260 मिलियन छात्रों के विशाल समूह को ट्रैक करने में सहायता प्रदान करता है।
इसे न केवल भारत में 260 मिलियन छात्रों की शैक्षिक प्रगति पर नज़र रखने के लिये एक महत्त्वपूर्ण उपकरण के रूप में बल्कि छात्रों के लिये एक महत्त्वाकांक्षी और विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त दस्तावेज़ के रूप में भी महत्त्व दिया गया है।
लाभ:
APAAR छात्रों की प्रगति पर नज़र रखने और शैक्षणिक रिकॉर्ड को सुव्यवस्थित करके शिक्षा में जवाबदेही तथा पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।
यह दक्षता बढ़ाता है, धोखाधड़ी से बचाता है और विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिये सह-पाठ्यचर्या संबंधी उपलब्धियों को शामिल करता है।
विविधतापूर्ण उपयोग के मामलों के साथ, APAAR एक सुचारु स्थानांतरण प्रक्रिया की सुविधा प्रदान करता है और शैक्षणिक संस्थानों में डेटा-संचालित निर्णयन को समर्थन प्रदान करता है।
यह छात्रों को रोज़गार तक बेहतर पहुँच के लिये अपने शैक्षणिक रिकॉर्ड आसानी से साझा करने में भी सक्षम बनाता है।
संबंधित चिंताएँ:
निजता संबंधी चिंताएँ: शैक्षणिक रिकॉर्ड को एक केंद्रीकृत डेटाबेस में समेकित करने से विद्यार्थियों से संबंधित डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा को लेकर चिंताएँ उत्पन्न होना स्वाभाविक है।
APAAR आईडी के माध्यम से डिजिटल पहचान के प्रसार से पहचान की चोरी या धोखाधड़ी गतिविधियों का खतरा बढ़ सकता है, जिसके लिये मज़बूत सुरक्षा उपायों की आवश्यकता होगी।
डिजिटल विभाजन: यह संभव है कि हाशिये पर जीवन-यापन कर रहे या दूरदराज़ के क्षेत्रों में रहने वाले के छात्रों को डिजिटल प्लेटफॉर्म तक समान पहुँच न मिल पाए, जिससे मौजूदा शैक्षिक असमानताओं में वृद्धि हो सकती है।
एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स और डिजिलॉकर
एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स: NEP 2020 के अनुसार, एक कार्यक्रम से दूसरे कार्यक्रम में उचित "क्रेडिट ट्रांसफर" प्रणाली के साथ देश के शिक्षा संस्थानों में अध्ययन करने की स्वतंत्रता के साथ छात्रों की शैक्षणिक गतिशीलता को सुविधाजनक बनाने के लिये एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (ABC) की परिकल्पना की गई है।
यदि विद्यार्थी स्कूल बदलता है, चाहे राज्य के भीतर या किसी अन्य राज्य में, तो केवल APAAR आईडी साझा करने से ABC में उससे संबंधित समग्र डेटा उसके नए स्कूल में स्थानांतरित हो जाता है।
डिजिलॉकर (DigiLocker): यह एक क्लाउड-आधारित प्लेटफॉर्म है जो उपयोगकर्त्ताओं को दस्तावेज़ों और प्रमाण-पत्रों को डिजिटल रूप से संग्रहीत करने, जारी करने तथा सत्यापित करने की अनुमति देता है।
यह डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) की एक प्रमुख पहल है।
सूचना प्रौद्योगिकी (डिजिटल लॉकर प्रसुविधाएँ प्रदान करने वाले मध्यवार्तियों द्वारा सूचना का परिरक्षण और प्रतिधारण) नियम, 2016 के नियम 9A के अनुसार डिजिलॉकर प्रणाली में जारी किये गए दस्तावेज़ों को मूल भौतिक दस्तावेज़ों के बराबर माना जाता है।
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