Header Ads

easy TIPS & TRICKS by Brijesh Shahu

Aadhaar is not proof of citizenship

Aadhaar is not proof of citizenship







भारत सरकार ने हाल ही में इस बात पर बल दिया है कि आधार नागरिकता या जन्मतिथि (Date of Birth- DOB) का प्रमाण नहीं है।

नए आधार कार्ड और पहचान दस्तावेज़ के PDF संस्करणों में एक अधिक स्पष्ट और प्रमुख अस्वीकरण शामिल होना शुरू हो गया है कि ये "पहचान का प्रमाण हैं, नागरिकता या जन्मतिथि का नहीं" और सरकारी विभागों व अन्य संगठनों को इन उद्देश्यों के लिये इसका उपयोग न करने का संकेत दिया गया है।


बॉम्बे उच्च न्यायालय:

महाराष्ट्र राज्य बनाम भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) मामले, 2022 में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने एक पहचान दस्तावेज़ के रूप में आधार के दायरे और सीमाओं को स्पष्ट किया। न्यायालय ने कहा कि आधार केवल पहचान और निवास का प्रमाण है, नागरिकता या जन्मतिथि का नहीं।

भारत का सर्वोच्च न्यायालय:

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टस्वामी (सेवानिवृत्त) और अन्य बनाम भारत संघ मामले, 2018 में आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा।

न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि आधार अधिनियम, 2016 की धारा 9 में कहा गया है कि "आधार संख्या या उसका प्रामाणीकरण, अपने आप में, आधार संख्या धारक के संबंध में नागरिकता या अधिवास का कोई अधिकार प्रदान नहीं करेगा या इसका प्रमाण नहीं होगा।"

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY): MeitY ने वर्ष 2018 के एक ज्ञापन में स्पष्ट किया कि आधार "वास्तव में... जन्म तिथि का प्रमाण नहीं है", क्योंकि जन्म तिथि आधार आवेदकों द्वारा दिये गए एक अलग दस्तावेज़ पर आधारित है।

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO):

EPFO जो भारत में वेतनभोगी कर्मचारियों के लिये अनिवार्य सेवानिवृत्ति निधि का प्रबंधन करता है।
 EPFO ने जनवरी 2024 में एक परिपत्र जारी कर जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में स्वीकार्य दस्तावेज़ों की सूची से आधार को हटा दिया

आधार के संबंध में  चिंताएँ

नागरिकता या जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में आधार का उपयोग:

भारत का निर्वाचन आयोग स्पष्ट रूप से लोगों को वोट देने के लिये नामांकन हेतु जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में आधार को स्वीकार करता है।
आधार के उपयोग के बारे में ये हालिया स्पष्टीकरण, जो पहचान दस्तावेज़ में स्पष्ट रूप से मुद्रित हैं, इन छूटों पर सवाल उठा सकते हैं।

गोपनीयता तथा सुरक्षा: 

आधार में उंगलियों के निशान, आईरिस स्कैन तथा मुख की छवि जैसी संवेदनशील वैयक्तिक जानकारी का संग्रह तथा भंडारण शामिल होता है जिससे डेटा उल्लंघन, पहचान की चोरी तथा अनुवीक्षण का खतरा बढ़ जाता है।

बायोमेट्रिक प्रामाणीकरण:

आधार के माध्यम से सेवाओं का लाभ उठाने के लिये बायोमेट्रिक सत्यापन की आवश्यकता होती है जो प्रौद्योगिकी की विश्वसनीयता और सटीकता, बुनियादी ढाँचे की उपलब्धता तथा गुणवत्ता एवं बायोमेट्रिक विफलताओं के कारण सेवाओं के निर्बाध पहुँच में देरी जैसी चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है।

आगे की राह:

आधार कार्ड पर अद्यतन तथा स्पष्ट अस्वीकरण के बारे में जनता, सरकारी विभागों तथा संगठनों को शिक्षित करने के लिये व्यापक जागरूकता अभियान शुरू करना।

इस तथ्य पर ज़ोर देना कि आधार पूर्ण रूप से पहचान तथा निवास का प्रमाण है न कि नागरिकता अथवा जन्म तिथि की पुष्टि करने वाला दस्तावेज़।

विधिक, गोपनीयता तथा सुरक्षा चिंताओं पर विचार करते हुए आधार की भूमिका एवं अनुमत उपयोग का व्यापक पुनर्मूल्यांकन करना।

आधार डेटाबेस में संग्रहीत संवेदनशील जानकारी की सुरक्षा के लिये सुदृढ़ डेटा सुरक्षा उपायों को कार्यान्वित करना।

बायोमेट्रिक सत्यापन की विश्वसनीयता और सटीकता में सुधार लाने, विफलताओं तथा बहिष्करणों की घटनाओं को कम करने के लिये नवीन समाधानों का अन्वेषण करें।

आधार प्रणाली की समग्र प्रभावशीलता और समावेशिता को बढ़ाने के लिये सहयोगात्मक प्रयासों को प्रोत्साहित करें।

No comments:

Powered by Blogger.