Header Ads

easy TIPS & TRICKS by Brijesh Shahu

About Acid Rain

About Acid Rain




अम्ल वर्षा (Acid Rain) एक जटिल पर्यावरणीय समस्या है जिसके कई कारण और व्यापक परिणाम हैं तथा इसकी उत्पत्ति जीवाश्म ईंधन ( Fossil Fuels) में हुई है।


अम्ल वर्षा 

परिचय:

अम्ल वर्षा या अम्ल निक्षेप एक व्यापक शब्द है जिसमें सल्फ्यूरिक या नाइट्रिक अम्ल जैसे अम्लीय घटकों के साथ किसी भी प्रकार की वर्षा शामिल होती है जो नम या शुष्क रूप में वायुमंडल से पृथ्वी पर गिरती है।

इसमें बारिश, बर्फ, कोहरा, ओले या यहाँ तक कि अम्लीय धूल भी शामिल हो सकती है।





अम्ल वर्षा का निर्माण:

जब सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) वायुमंडल में जल तथा ऑक्सीजन के साथ क्रिया करते हैं, तो वे क्रमशः सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) एवं नाइट्रिक अम्ल (HNO3 बनाते हैं।

ये अम्ल फिर जल की बूंदों में घुल जाते हैं, जिससे अम्ल वर्षा, बर्फ या कोहरा बनता है।

अम्ल वर्षा का सामान्य pH (Potential of Hydrogen) लगभग 4.2-4.4 होता है, जो इसे सामान्य वर्षा (जिसका pH लगभग 5.6 होता है) की तुलना में अधिक अम्लीय बनाता है।

अम्ल वर्षा के कारण:

जीवाश्म ईंधन का दहन: जीवाश्म ईंधन ( Fossil Fuels) के दहन से, विशेष रूप से सल्फर युक्त, सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और उच्च ताप पर, नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) निकलते हैं।

जीवाश्म ईंधन का दहन वाहनों में प्रचलित है और यह पर्यावरण प्रदूषकों का एक प्राथमिक स्रोत है।

विद्युत संयंत्रों और औद्योगिक प्रक्रियाओं में कोयले के दहन से भी ये पदार्थ उत्सर्जित होते हैं।

प्राकृतिक स्रोत: ज्वालामुखी उद्गार और आकाशीय बिजली (Lightning) भी वायुमंडल में सल्फर डाइऑक्साइड तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड की उपस्थिति में योगदान करते हैं।

वायु प्रदूषण: वायुमंडल में, प्रदूषक SO2 और NOx रासायनिक क्रिया करते हैं, जिससे सल्फ्यूरिक तथा नाइट्रिक अम्ल बनते हैं।

जलवाष्प के साथ मिश्रण कर, वे वर्षण के दौरान अम्लीय वर्षा बनाते हैं।





अम्ल वर्षा/निक्षेप:

नम निक्षेपण (Wet Deposition): वायुमंडल में क्रिया कर सल्फ्यूरिक और नाइट्रिक अम्ल वर्षा, बर्फ, कोहरे या ओलों के साथ मिश्रित होकर पृथ्वी पर गिरते हैं।

शुष्क निक्षेपण (Dry Deposition): नमी की अनुपस्थिति में शुष्क निक्षेप के रूप में अम्लीय कण और गैसें भी वायुमंडल से संघनित हो जाती हैं।

अम्लीय कण और गैसें, सतहों (जल निकायों, वनस्पति, भवनों) पर तेज़ी से जमा हो जाते हैं या वायुमंडलीय परिवहन के दौरान क्रिया करके बड़े कणों का निर्माण करते हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होते हैं।

अम्ल वर्षा के  प्रभाव 

जलीय जीवन पर प्रभाव:

अम्ल वर्षा नदियों तथा झीलों जैसे जलाशयों को प्रभावित करती हैं जिससे इन जलाशयों की कुछ प्रजातियों जैसे ट्राउट और मछली के जीवन पर प्रभाव पड़ता है।

जलाशयों में अम्लता की बढ़ती मात्रा उनके प्रजनन प्रारूप को बाधित करती है जिसके परिणामस्वरूप प्रभावित नदियों तथा झीलों में मछलियों की संख्या में गिरावट आ सकती है।

समुद्री जल एवं प्रजातियों के वितरण पर प्रभाव:

अम्लता की बढ़ती मात्रा समुद्री जल के pH को परिवर्तित करती है जिससे विभिन्न जीवों के वितरण तथा अस्तित्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

कवच (Shell) युक्त समुद्री प्रजातियाँ, जैसे- मोलस्क (Mollusks) तथा कुछ प्रकार के प्लवक, विशेष चुनौतियों का सामना करते हैं क्योंकि अम्लीकरण उनके द्वारा सुरक्षात्मक कवच विकसित करने और संरक्षित करने की उनकी क्षमता में बाधा उत्पन्न करते हैं।

भौतिक अवसंरचना पर प्रभाव:

अम्ल वर्षा भौतिक संरचनाओं तथा स्मारकों के लिये खतरा उत्पन्न करती है जिससे उनकी विकृति तथा रंग खराब होता है।

उल्लेखनीय उदाहरणों में ताजमहल शामिल है, जिसका प्रतिष्ठित सफेद संगमरमर अम्ल वर्षा से प्रभावित हुआ है तथा सल्फ्यूरिक एसिड अभिक्रियाओं के कारणवश उसका संगमरमर वर्तमान में हल्के पीले रंग का हो गया है।

इसी प्रकार चूना पत्थर अथवा संगमरमर से निर्मित भवन, मूर्तियाँ तथा पुल संक्षारण तथा क्षय के प्रति संवेदनशील होते हैं।

अम्ल वर्षा सतहों के क्षरण को और अधिक गति प्रदान करती है जिससे वास्तुशिल्प स्थलों की संरचनात्मक अखंडता प्रभावित होती है।




अम्ल वर्षा शमन उपाय 

फ्लू-गैस डी-सल्फराइज़ेशन 

कोयला विद्युत संयंत्रों ने सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन को 90% से अधिक कम करने के लिये फ्लू-गैस डी-सल्फराइज़ेशन जैसी तकनीकों को अपनाया है।

ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP):

GRAP आपातकालीन उपायों की एक शृंखला है जो दिल्ली-NCR क्षेत्र में एक निश्चित सीमा तक पहुँचने के बाद वायु की गुणवत्ता में होने वाली गिरावट को रोकने के लिये लागू होता है।

एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ (2016) मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद वर्ष 2016 में इसे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित किया गया था और वर्ष 2017 में अधिसूचित किया गया था।

BS-VI वाहन

वायु गुणवत्ता प्रबंधन हेतु नवीन आयोग

वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली (Air Quality and Weather Forecasting and Research- SAFAR)

राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI)

वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:

पूर्वी एशिया एसिड डिपोजिशन मॉनिटरिंग नेटवर्क (Acid Deposition Monitoring Network in East Asia- EANET) तथा अन्य पहलों के माध्यम से संपूर्ण विश्व की सरकारें अम्ल वर्षा को कम करने के लिये सहयोग कर रही हैं।

EANET पूर्वी एशियाई देशों की अंतर-सरकारी पहल है जिसका उद्देश्य अम्ल जमाव की निगरानी तथा उसका समाधान करना है जिसमें अम्ल वर्षा भी शामिल है।

यह वायुमंडल में सल्फर डाइऑक्साइड तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे अम्लीय पदार्थों के जमाव एवं पर्यावरण, विशेष रूप से पारिस्थितिक तंत्र व जल निकायों पर पड़ने वाले प्रभाव से संबंधित डेटा एकत्र करता है।

No comments:

Powered by Blogger.