Humboldt's Enigma
Humboldt's Enigma
हम्बोल्ट का रहस्य: अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट की टिप्पणियों से प्रेरित, यह पारंपरिक धारणा पर सवाल उठाता है कि उष्णकटिबंधीय क्षेत्र, जो पर्याप्त सूर्य के प्रकाश से प्रेरित हैं, पृथ्वी पर जैवविविधता के प्राथमिक केंद्र हैं।
इसमें बताया गया है कि कम धूप प्राप्त करने और ठंडे तापमान को सहन करने के बावजूद, पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र असाधारण जैवविविधता का प्रदर्शन करके इस धारणा को खारिज करते हैं, जिससे पारंपरिक पारिस्थितिक सिद्धांतों को चुनौती मिलती है तथा इस विसंगति की जाँच को बढ़ावा मिलता है।
हम्बोल्ट का अवलोकन: हम्बोल्ट ने सुझाव दिया कि एक ओर तापमान, ऊँचाई और आर्द्रता तथा दूसरी ओर प्रजातियों की घटना पैटर्न या उनकी जैवविविधता के बीच एक संबंध था।
उनकी पसंद का उदाहरण इक्वाडोर में चिम्बोराजो पर्वत (Chimborazo Mountain) था, जो आज पर्वतीय विविधता का एक महत्त्वपूर्ण उदाहरण बन गया है।
पर्वतीय जैवविविधता में योगदान देने वाले कारक:
विविध स्थलाकृति: पहाड़ बर्फ से ढकी चोटियों से लेकर आश्रय घाटियों तक सूक्ष्म जलवायु की एक मोज़ेक (Mosaic) प्रस्तुत करते हैं।
यह विविधता विशिष्ट पारिस्थितिक स्थान बनाती है, जो प्रजातियों की एक विस्तृत शृंखला के लिये उपयुक्त है।
अलगाव: पर्वत आकाश में पृथक "द्वीप" के रूप में कार्य करते हैं, अद्वितीय विकासवादी मार्गों और स्थानिक प्रजातियों को बढ़ावा देते हैं, जो कहीं और नहीं पाए जाते हैं।
उदाहरण के लिये हवाई द्वीप पौधों और जानवरों की कई स्थानिक प्रजातियों का घर है, जो मुख्य भूमि से अलग-थलग विकसित हुए हैं।
गतिशील परिदृश्य: भूस्खलन और हिमनदों के पीछे हटने जैसी भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएँ लगातार पहाड़ी परिदृश्यों को नया आकार देती हैं, जिससे नई प्रजातियों को उपनिवेश बनाने और विकसित होने के अवसर मिलते हैं।
भारत के रहस्यमय पर्वत: भारत की विविध पर्वत शृंखलाएँ, जिनमें हिमालय विशेषकर पूर्वी हिमालय शामिल है, हम्बोल्ट की पहेली की जाँच के लिये आदर्श सेटिंग्स के रूप में काम करती हैं।
विश्व वन्यजीव कोष के अनुसार, पूर्वी हिमालय में हजारों विभिन्न प्रजातियाँ हैं, जिनमें 10,000 से अधिक पौधे, पक्षियों की 900 प्रजातियाँ और स्तनधारियों की 300 प्रजातियाँ शामिल हैं। जिनमें से कई लुप्तप्राय या गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं।
इसके घास के मैदान बंगाल बाघों, एशियाई हाथियों और एक सींग वाले गैंडे की सबसे घनी आबादी का घर हैं।
इसके पहाड़ हिम तेंदुओं, लाल पांडा, टाकिन्स, हिमालयी काले भालू और सुनहरे लंगूरों को आश्रय प्रदान करते हैं तथा इसकी नदियों में दुनिया की सबसे दुर्लभ डॉल्फिन (गंगा) पाई जाती हैं।
संबंधित भारत सरकार की पहल:
नेशनल मिशन ऑन सस्टेनिंग हिमालयन ईकोसिस्टम
जैवविविधता और मानव कल्याण पर राष्ट्रीय मिशन
जैवविविधता क्या है ?
परिचय: जैवविविधता पृथ्वी पर सभी जीवन का आधार है तथा इसमें पौधों, जंतुओं एवं सूक्ष्मजीव प्रजातियों की विविधता के साथ-साथ विश्व की सभी संबंधित आनुवंशिक विविधताएँ शामिल हैं।
जैव विविधता का मापन: इसे दो प्रमुख घटकों द्वारा मापा जाता है: प्रजातीय समृद्धि तथा प्रजाति समता (Evenness)।
प्रजातीय समृद्धि के तहत एक समुदाय में पाई जाने वाली प्रजातियों की संख्या को मापा जाता है।
स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र में उष्णकटिबंधीय वर्षावनों तथा समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में प्रवाल भित्तियों में प्रजातियों की समृद्धि का उच्चतम स्तर है।
प्रजाति समता किसी क्षेत्र को समृद्ध करने वाली विभिन्न प्रजातियों की सापेक्ष बहुतायत का माप है।
निम्न समता का अर्थ है कि कुछ प्रजातियों की संबद्ध स्थल पर बहुतायत है।
भारत में जैवविविधता: भारत विश्व के मान्यता प्राप्त मेगा-विविध देशों में से एक है जहाँ विश्व की लगभग 7-8% ज्ञात प्रजातियाँ निवास करती हैं।
भारत विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त 36 जैवविविधता हॉटस्पॉट (हिमालय, इंडो-बर्मा, पश्चिमी घाट और श्रीलंका, सुंदरलैंड) में से 4 का प्रतिनिधित्व करता है।
वर्तमान में देश के 10 जैव-भौगोलिक क्षेत्रों में जानवरों की 91,200 से अधिक प्रजातियों तथा पौधों की 45,500 प्रजातियों का दस्तावेज़ीकरण किया गया है।
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